- 124 Posts
- 3892 Comments
हे ईश्वर, मैं अपने उन अपराधों की क्षमा मांगता हूँ जिनके कारण आपने मुझे इस देश में जन्म दिया और वचन देता हूँ कि मरने से पहले इस देश की नागरिकता का परित्याग कर दूंगा, ताकि इस देश की धरती पर दोबारा जन्म न मिले!
मीडिया से ले कर इस देश का प्रधानमंत्री तक मार्केटिंग कर रहा है और बिक रहे हैं इस देश की बेटियों के कफ़न जिनपर बलात्कार के दाग हैं| जिस देश में अधिवक्ता से ले कर महान्यायवादी तक ये समझें में विफल हैं कि कोई कानून किस मंशा के साथ बनाया गया था उस देश में न्याय की कल्पना भी असंभव है| न्याय की सबसे बड़ी सच्चाई और सबसे बड़ी विडंबना यही है कि न्याय इच्छा शक्ति से होता है अच्छी मंशा और निर्विकार भाव से होता है न कि कानून की किताबों से| किताबे सिर्फ मार्गदर्शक होती हैं उनमे स्वयं को सम्पादित करने की क्षमता नहीं होती| नियम सिर्फ किसी भाषा में लिखी पंक्तियाँ होती हैं जिनका अर्थ न्याय करने वाला उचित तरीके से करेगा ये उसकी शुचिता और मंशा पर निर्भर है| दुनिया का कोई कानून ऐसा नहीं है जिसकी व्याख्या न्याय को होने से रोके बशर्ते न्याय करने वाला व्यक्ति न्याय देते समय निर्विकार और दृढ-प्रतिज्ञ हो कि वह सिर्फ न्याय करेगा और कानून के अनुसार करेगा| तरस आता है मुझे उन अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों पर जिनके पास कानून के अपर्याप्त होने का रोना तो है लेकिन उपलब्ध कानून की व्याख्या करने की या तो मंशा नहीं या फिर अक्ल या फिर दोनों ही नहीं है बस कुर्सी मिल गई है तो नौकरी बजा रहे हैं|
Read Comments