आ गया नया कानून !
दिल्ली नहीं दहली, न जींद की टूटी नींद…
सबकुछ बुरा था, सबकुछ बुरा है, ना कुछ बदला था, ना कुछ बदला है। एक खबर उडी है हवाओं में, शायद कुछ सच्चाई हो; तुम भी देखो, पढ़ लो, सोचो, शायद ये खुशखबरी हो। ये सुना है, शायद पढ़ा है- किसी न्यायाधीश ने पहली बार इस देश में क़ानून को न्याय की राह सुझाई है; देश के कर्णधारों को एक सुझाव दिया है, एक मांग उठाई है। हो सके तो आप भी इसे समर्थन दें, अपनी आवाज से इसे थोडा और बल दें।
विचार है-
नारी अब असुरक्षित नहीं होगी। बलात्कारी अब बेख़ौफ़ नहीं रहेंगे। दरिंदगी को संज्ञेय अपराधों की व्याख्या करने वाली कानूनी पंक्तियों से नहीं न्याय की देवी की आँखों की पट्टी खोलकर पहचाना जाएगा। जितने भी दुर्दांत बलात्कारी है यदि वे जीवित है तो उन सभी पर आज की तारीख से ये कानून लागू होगा। दुर्लभतम में दुर्लभतम प्रकृति के मामलों में न्याय भी दुर्लभतम प्रकृति का होगा। चूंकि ये अपराध सभी अपराधिक गतिविधियों से कहीं ज्यादा जघन्य हैं इसलिए न्याय भी काल. परिस्थिति और पीड़ा के अनुसार राहत और दंड देने पर जोर देती है, इस तरह ये इकलौता कानून ही बलात्कारियों के लिए मृत्युदंड से भी भयानक दंड देने के लिए पर्याप्त होगा। पीडिता यदि स्वयं तनिक भी जिम्मेदार ना पाई जाय तो न्याय पीडिता के द्वारा सुझाए गए दंड के माद्यम से उसे राहत प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध होगा।
जघन्यतम और दुर्लभतम मामलों में अपराधी को अवयस्क साबित करके, उसे नाबालिग करार देकर बचाने की कानूनी दावं-पेंच की कोशिशों पर भी ये कानून पूर्ण-विराम लगाता है। बलात्कारी किसी भी दशा में सजा से बचने का अधिकारी नहीं हो सकता क्योंकि ये एक मात्र ऐसा अपराध है जो अपराधी तभी कर सकता है जब वह वयस्क हो अर्थात इन मामलों में उम्र का पक्ष सर्वथा अविचारणीय है। साथ ही साथ
दुर्लभतम से दुर्लभतम मामलों की सुनवाई में अभियोग तय होने से सजा तामील होने तक का कुल वक्त छह माह से अधिक नहीं होगा।
आशा है कि यह कानून सर्वसम्मति से स्वीकार किया जाएगा। इस अद्यतन न्याय-प्राविधान को देश की पूरी जनसख्या अपनी सहमति से स्वीकार करेगी और इसी के साथ ये हिन्दुस्तान का पहला और शायद दुनिया का भी पहला कानून होगा जो नागरिको के लिए, नागरिकों पर, नागरिकों के द्वारा भूत से लेकर भविष्य तक के सभी मामलों में लागू किया जाएगा।
देश का पहला अपना, वास्तविक और न्यायोचित कानून सभी हिन्दुस्तानियों को मुबारक हो!
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