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हमें क़ानून को अपने हाथ में ना ले पाने का मलाल है !
०५ सितम्बर २०१२ दिन बुधवार सुबह का समय
एक १२ वर्षीय बालिका अपने भाई को स्कूल छोड़कर लौट रही थी। रास्ते में सिपाही (सुनील तिवारी) जिसकी तैनाती बलरामपुर जिले में है (इस कुकर्मी के पिता भी बलरामपुर में ही कोतवाली में मुंशी के पद पर तैनात हैं ) ने बालिका को जबरदस्ती रोक लिया। बालिका को पास की झाडी में ले जाकर उससे बलात्कार किया। जब अस्त-व्यस्त हालत में कुकर्मी झाड़ियों से निकल रहा था तभी उधर से गुजर रहे ग्रामप्रधान और उनके कुछ साथियों की नज़र उस पर पड़ी। उन्हें वहीं पर पड़ी लेडीज़ सायकिल को देखकर उस पर शक हुआ और सिपाही को दबोच लिया गया, धुलाई होने पर सिपाही ने सच उगला। बालिका की दशा देखकर लोगों का पारा चढ़ा। कुकर्मी ने पुलिसिया रोब दिखाना शुरू किया जिसपर ग्रामीणों ने उसे लात-जूतों पर रख लिया। कुछ लोग बालिका (बेहोशी की स्थिति में) को अस्पताल लेकर भागे और थोड़ी ही देर में कोतवाली नगर की पुलिस भी वहां पहुँच गई। अपराधी के साथ-साथ गाँव वाले भी कोतवाली पहुंचे। थोड़ी देर में कुकर्मी सिपाही के पिता लक्ष्मीकान्त तिवारी भी ५०,०००/- रुपया लेकर मामला निपटाने पहुँच (एक पुलिसवाले को अच्छी तरह पता होता है कि किस अपराध के लिए पुलिस कितने पैसों में बिकती है ) गए; लेकिन ये देखकर आक्रोशित गाँव वाले जब कुकर्मी के पिता को कोतवाली में ही जूतों पर रख लेने को आमादा हो गए तो स्टाफ धर्म निभाते हुए कोतवाली के सिपाहियों ने बाप को वहां से टरका दिया।
बच्ची की हालत गंभीर हैं महिला अस्पताल के सी.एम्.ओ. ने बलात्कार की पुष्टि कर दी हैं लेकिन प्रश्न ये है कि इन पुलिसिया दानवों की करतूतों का बोझ गोंडा की जनता कब तक उठाएगी?
उपरहितन पुरवा गाँव में (जहाँ ये घटना घटित हुई थी) आज मातम का माहौल है, सभी पछता रहे हैं कि कुकर्मी कोतवाली कैसे पहुँच गया? मौके पर ही हिसाब पूरा क्यों नहीं कर पाए हम? आखिर जब वह सिपाही बच्ची को रस्ते में रोक रहा था तब हममे से कोई उधर से क्यों नहीं गुजरा? ना जाने कितने पछतावे हैं जो पूरा गाँव कर रहा है।
गोंडा में पुलिसिया गुंडागर्दी चरम पर है और इसका कारण है प्रदेश की सपा सरकार जिसके सफेदपोश यहाँ मंत्री और विधायक बने बैठे हैं और बेनी बाबू जिन्होंने गोंडा में सुशासन देने वाले जिलाधिकारी श्री राम बहादुर जी को पहले ही नपवा दिया। बचे थे सिर्फ नगर कोतवाल श्री भरतलाल यादव जी जिन्हें इन बलात्कारी पोषक नेताओं ने जिला बदर कर दिया ताकि इनके गुंडे और पुलिसिया चाटुकार खुलेआम जघन्य अपराधों को अंजाम दे सकें। उपरोक्त दोनों अधिकारियों के हटते ही जिले में अपराधों की बाढ़ सी आ चुकी है। खासकर बेंदाज़ हुई है पुलिस जिसने सारे नियम कानून ताक पर रख दिए हैं।
इस ब्लॉग के माध्यम से मैं उत्तर प्रदेश के मुख्य-मंत्री श्री अखिलेश यादव जी से ये कहना चाहूँगा कि वे ना सिर्फ ऐसे मामलों का संज्ञान लें बल्कि हमारे शहर में बढ़ रहे पुलिसिया आतंक को रोकने के लिए पूर्व जिलाधिकारी श्री राम बहादुर जी को और नगर कोतवाल श्री भरतलाल यादव वापस गोंडा में तैनात करें। सत्ता के लालच में अच्छे अधिकारियों को हटाने की कुत्सित नीति यदि युवा भी करने लगे तो जनता के आक्रोश को ना तो आपके मंत्री संभाल पायेगे और न ही उनके टुकड़ों पर भौंकने और काटने वाले अपराधी।
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