Menu
blogid : 1755 postid : 420

हिन्दू और हिंदुत्व का मुद्दा

चातक
चातक
  • 124 Posts
  • 3892 Comments

एक सवाल सुप्रीम कोर्ट ने पूछा– ‘जब बात हिन्दू धर्म की हो तभी क्यों बदलने लगते हैं क़ानून?’ जवाब किसी के पास नहीं था। होता भी कैसे, जब सर्वोत्तम मेधा प्रश्न करे तो जवाब देना आसान नहीं होता। लेकिन इस बार जवाब मुश्किल नहीं था फिर भी कायर सांसदों से कोई जवाब नहीं मिला। लोकतंत्र की आत्मा तिलमिला के रह गई, अपने गर्भ में बैठे कायर, व्यभिचारी और घोटालेबाज़ सांसदों की इस चुप्पी पर। क्या जवाब इतना मुश्किल था? नहीं! किसी हिन्दू से पूछो जवाब मिलेगा, बशर्ते वह हिन्दू हो।


सारे प्रतिबन्ध- तिरंगे को सलामी देने से लेकर संविधान को अपने धर्म-ग्रंथों से भी बढ़कर सम्मान देने तक सारे प्रतिबन्ध हिन्दू पूरी निष्ठा से स्वीकार करता है। यही कारण है कि हर प्रतिबन्ध उसी पर आरोपित होता है।


राष्ट्र की सेवा का दायित्व- हिन्दू समाज को बांटने वाले आरक्षण से लेकर उसकी वोट-शक्ति (जनसँख्या) तक को सीमित करने वाली परिवार नियोजन की गुजारिश पर सिर्फ हिन्दू अमल करता है।
देश की रक्षा के लिए कुर्बानी- यहाँ मुझे यह लिखते हुए अधिक गर्व का अनुभव हो रहा है कि हिन्दुओं के अग्रज, सिख हमें अकेला नहीं पड़ने देते। चाहे वह देश की सीमाओं की पहरेदारी करने की बात हो या आन्तरिक सुरक्षा को खोखला बना चुकी सेकुलर पुलिस के आगे खड़े होकर आतंकियों की गोलियां झेलने की।


आपदा एवं विपदा काल- हिन्दुस्तान अपनी स्वाधीनता के समय से ही हादसों और विपदाओं का देश रहा है, और हर संकट की घडी में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व-हिन्दू परिषद् और बजरंग-दल जैसे हिंदुत्व-वादी संगठनों ने ही जाति, धर्म और सम्प्रदाय को भुलाकर हर हिन्दुस्तानी की सहायता को हाथ बढाया। किसी अन्य देश में ऐसे राष्ट्रवादी संगठन होते तो उन्हें सम्मानों और तमगों से लाद दिया जाता लेकिन हिन्दुस्तान में इन संगठनों को सिर्फ अपमान का विष मिलता है।
आज आवश्यकता है इस बात की कि हर हिन्दू यह प्रश्न उठाये कि मुसलमान स्वयं को मुसलमान कहे तो भाईचारा बढ़ता है; ईसाई खुद को ईसाई कहे तो राष्ट्र का सेकुलर तंत्र और मजबूत हो जाता है; लेकिन हिन्दू स्वयं को हिन्दू कहे तो सेकुलाराई की चूलें क्यों हिलने लगती है?
क्या इसलिए तो नहीं कि– “हादसात ने ज़ुल्म इतने ढाए हैं, जुबाँ लरजती है हकीकत बयान करने से।।“

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to manoranjanthakurCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh