कुछ ही समय पहले मैंनें अपने ब्लाग में यू0पी0 बोर्ड की परीक्षा में दसवीं कक्षा के छात्रों को दिये गये सत्रीय कार्य के अंकों पर प्रश्न उठाया था और बताया था कि किस तरह से रिश्वत लेकर अंक दिये जाते हैं। 26 जून को गोण्डा शहर में श्रमजीवी पत्रकार यूनियन ने मंगलवार को यू0 पी0 बोर्ड (2011-12 की) कक्षा 10 एवं कक्षा 12 की परीक्षा में सर्वाधिक अंक हासिल करने वाले 10-10 छात्र-छात्राओं को सम्मानित करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में मेधावियों की प्रतिभा का मूल्यांकन कराने के लिए प्रतियोगिता भी कराई गयी। प्रतियोगिता के परिणाम आश्चर्यजनक रहे। जिस छात्र ने बोर्ड परीक्षा में 90 प्रतिशत अंक अर्जित किये हैं वह इस प्रतियोगिता मे मात्र16 प्रतिशत (यानि बोर्ड परीक्षा पास होने के लिए निर्धारित 33 प्रतिशत अंक के आधे से भी कम) अंक ही हासिल कर सका जबकि 88 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वला छात्र सिर्फ 8 प्रतिशत अंको पर ही हिट विकेट हुआ। जैसे-तैसे 17 प्रतिभागी मेधावियों(?) को उपनिदेशक सूचना, रवि कुमार तिवारी, अधिवक्ता के0के0 श्रीवास्तव, श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष के0एन0 वर्मा तथा महामंत्री जानकी शरण द्विवेदी आदि ने सम्मानित किया। मेधावियों की यह महान उपलब्धि अमर उजाला दैनिक के स्थानीय पृष्ठ पर प्रकाशित हुई और मेधावियों को ससम्मान(?) अपनी तस्वीर अखबार में देखने को मिली। यदि उपरोक्त घटना की निंदा भी की जाय तो क्या उस क्षति की भरपाई सम्भव है जो उन छात्रों को हुई जो वास्तव में मेधावी हैं और भ्रष्ट तंत्र (शिक्षक, मैनेजर, शिक्षा अधिकारी) के शिकार हैं? माना कि असली मेधा अपनी जगह बना लेती है और उपलब्धियां भी उनके हिस्से में आती हैं लेकिन उन मेधावियों के दर्द का क्या जो उनको सम्मान न मिल पाने की कुंठा से उत्पन्न होता है?
प्रश्न अभी भी वही है क्या शिक्षा और मेधावियों के साथ हो इस मजाक पर शासन और प्रशासन में बैठे एक भी व्यक्ति की नजर नहीं पड़ती? या फिर निष्कर्ष यही है कि ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा लुप्त हो चुकी है…………………….
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