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बूझो तो जानें !!

चातक
चातक
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इस दौर का दस्तूर है
दुनिया में ये मशहूर है
देखो जिधर आबाद है
मुफलिस की ये फरियाद है
सोचो ज़रा क्या चीज़ है
किसकी भला ईजाद है
हर आदमी को चाहिए
हर सू इसी की बात है
रहता है शायद पास ही
फिर भी वो रूह्पोश है
पहचान लो तो नूर है
आँखों से फिर भी दूर है
न है खुदा न बंदगी
चाकर है इसकी- जिंदगी
धड़कन की ये फरियाद है
साँसों में पलता राग है
ये है खुदा न नाखुदा
फिर भी किसी से न जुदा
तुम बूझ लो तुम जान लो
गर हो सके तो मान लो
मैं फिर नहीं बतलाऊंगा
और फिर नहीं दिखलाऊंगा
इक मेहरबान का नाम लो
और जाता मंज़र थाम लो
पलकों को मूँद लो अभी
फिर आप अपना नाम लो
खुद में कहीं मिल जायेगा
बस आज वो दिख जायेगा
हाँ है यही- हाँ है यही
अब तो इसे पहचान लो
अब तो इसे पहचान लो

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